इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी, चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ गया ।
मुसीबतों से उभरती है शख्सियत यारो, जो पत्थरों से न उलझे वो आइना क्या है...!!
रस्सी जैसी जिंदगी... तने-तने हालात.....
एक सिरे पे ख़्वाहिशें...
दूजे पे औकात....
जरूरत और चाहत में बहुत फ़र्क है..,
कमबख्त़ इसमे तालमेल बिठाते बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है
कमाल का ताना मारा है आज जिंदगीने,,,
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की अगर कोई तेरा है तो वो तेरे पास क्यु नहीं हे .
अगर जिंदगी से प्यार है,
तो
जिंदगी मे कभी प्यार मत करना
सिर्फ 'सांसें' चलते रहने को ही 'ज़िंदगी' नहीं कहते . . .
आँखों में कुछ 'ख़्वाब' और दिल में . . .
'उम्मीदें' होना भी ज़रूरी हैं !:)
जो अंधेरे की तरह डसते रहे
अब उजाले की कसम खाने लगे
चंद मुर्दे बैठकर श्मशान में
ज़िंदगी का अर्थ समझाने लगे
आते है दिन हर किसी के बेहतर
ज़िन्दगी के समुन्दर में हमेशा तूफाँ नही होते