काश मै ऐसी बात लिखूँ तेरी याद मे,
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तेरी सूरत दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ मे..
तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास...तेरा ख्याल,
तू खुदा नहीं ___फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है
मेरे पास तो सिर्फ तेरी यादे है ज़िदगी तो उसे मुबारक हो जिसके पास तू है
शिकवा करने गये थे और इबाबत सी हो गयी,
तुझे भुलने की जिद थी मगर तेरी आदत हो गयी
मैंने तड़प कर कहा बहुत याद आते हो तुम,
वो मुस्कुरा कर बोले तुम्हें और आता भी क्या है
मेरी दुनिया,, मेरे जज़्बात..
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है,
शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है,
कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम......
और एक वो है ….जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है...
मुझे भी सिखा दो "भूल" जाने का हुनर" "मैं थक गयl हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हें याद करते करते..!
हर मुलाकात पर वक्त का तकाज़ा हुआ हर याद पे दिल का दर्द ताजा हुआ; सुनी थी सिर्फ गज़लों मे जुदाई की बातें खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ;
हंसी ने लबों पर थ्रिकराना छोड दिया.
ख्बाबों ने सपनों में आना छोड दिया.
नहीं आती अब तो हिचकीया भी
शायद आपने भी याद करना छोड दिया.