कशमकश में हूँ यारों !!! आप ही बताओ !!! विवाह मैं "वाह" छिपी है...या "आह"..???
मत समझ के कुछ नही है पास मेरे तुझे देने को...
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पेशे से शायर हूँ नाम तेरे कुछ तो लिख ही जाऊगा
कोई सिसक उठता होगा, किसी की आँख भर आती होगी
इतना तो यकीन है मेरी शायरी दिल चीर के निकल जाती होगी..!!
तुम कभी-कभी ये भी
कर लिया कर लों
छोड़ो मेरी शायरी
दिल ही पढ़ लिया
करों...
वो बर्फ़ का शरीफ टुकड़ा जाम में क्या गिरा.. धीरे धीरे, खुद-ब-खुद शराब हो गया....
जो वक्त पर पसीना नहीं बहाते,
वे बाद में आँसू बहाते है
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम
को...
कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए....एक नाम को.
मुद्दत हो गयी,कोई शख्स तो अब ऐसा मिले...
बाहर से जो दिखता हो,अन्दर भी वैसा मिले...!!
जरूरी नहीं कि जिनमें साँसे नहीं वो ही मुर्दा हैं,
जिनमें इंसानियत नहीं, वो कौन से जिंदा हैं...!