तुम्हारा जिक्र हूआ तो महफिल तक छोड़ आए हम..,
गैरो के लबों पर हमें तो तुम्हारा नाम तक अच्छा नही लगता
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर...तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है!!
दुनियाँ में इतनी रस्में क्यों हैं, प्यार अगर ज़िंदगी है तो इसमें कसमें क्यों हैं, हमें बताता क्यों नहीं ये राज़ कोई, दिल अगर अपना है तो किसी और के बस में क्यों है
होती नहीं है मोहब्बत सूरत से;
मोहब्बत तो दिल से होती है;
सूरत उनकी खुद-ब-खुद लगती है प्यारी;
कदर जिनकी दिल में होती है।
किसी ना किसी पे ऐतबार हो जाता है,
अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है,
खुबियों से नही होती मोहब्बत सदा,
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है
बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो लोग,
जिन्हे कोई बहुत प्यार करने लगता है
मैं जानता हूँ ,
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फिर भी पूछता हूँ ,
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तुम आईना देख कर बताओ,
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मेरी पसंद कैसी हैं
जो आप से सच्ची मोहोब्बत करेगा..
वो आप कि इज्जत आप से ज्यादा करेगा..!
मत देख मुझको ऐ हसीना यूँ हँसते हँसते ... मेरे दोस्त बड़े कमीने हैं , कह देंगे तुझको भाभी नमस्ते ।