इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये,
कलम लिखती तो दफ्तर के बाबू भी ग़ालिब होते
ऐसे माहौल में ‘दवा' क्या है , 'दुआ' क्या है.. जहाँ कातिल ही खुद पूछे की ‘हुआ' क्या है...
Ishq ki raah main do hi manzilain
hain....
Ya dil main utar jana, Ya dil sey utar
Jana..
कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे,
समझे ना जिसे तुम आँखों से वो बात जुबानी कह देंगे....!!
चंद लम्हों के लिए एक मुलाक़ात रही फिर न वो तू,
न वो मैं और न वो रात रही
सुहानी चाँदनी रातों में छत पर घूमना तेरा ।
कभी तन्हाई में गाना अकेले झूमना तेरा ।
मोहब्बत की निशानी है नहीं तो और क्या है ये ।
हमारा नाम लिख कर यूँ हथेली चूमना तेरा ।
आपकों प्यार करने से डर लगता है
आपकों खोने से डर लगता है
कहीं आखों से गुम ना हो जाये याद
अब रात में सोने से डर लगता है......|
"काग़ज़ पे तो अदालत चलती है....
हमने तो फ़क़त तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।।"
धड़कन संभालू या साँस काबू में करूँ,
तुझे नज़र भर देखने में आफत बहुत है.