दारू और सिगरेट पीने वाला इंसान कभी मतलबी नहीं हो सकता. क्योंकि. जिसे अपने शरीर से ही मतलब नहीं, किसी के बारे मे कैसे बुरा सोच सकता है.Logic
जिधर देखो इश्क के बीमार बेठे है हज़ारो मर गये लाखो तैयार बेठे है बर्बाद होते है लड़कियों के पीछे कहते है सरकार की वज़ह से बेरोज़गार बेठे है
एक ढूंढो तो हजार मिलते हैं...
अक्ल से पैदल
सोच से बीमार मिलते हैं...
जिंदगी ने जख्म बहुत दिए, लेकिन हरेक को सिल लेता हूं। डार्लिंग तुम आलू उबालो, मैं मटर छील लेता हूं।
विहस्की का जला हूँ मै बियर भी फूँक फूँक कर पीता हूँ
वैसे औरत की दिलेरी का अंदाजा आदमी को शादी के वक्त पता चलता है, जब उसे लेने सौ की बारात लेकर जाता है और वो 'शेरनी'अकेली चली आती है
कैसी उम्र में आ कर मिले हों हमसे, जब हाथों की मेंहंदी बालों में लग रही है !
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
इश्क़ लौट आता है घूम फ़िर के
बूमरैंग जैसा ही होता है हरामी