दुश्मनी की हैं तो अंजाम भी भुगतना सीखो, वरना खुद ही अपनी औकात मे रहना सीखो....!!
महफिल भले ही प्यार वालों की हो
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रौनक उसमें दिलजले ही लाते हैं..
मै झुकता हूँ हमेशा आँसमा बन के ...जानता हूँ कि ज़मीन को उठने की आदत नही..!!!!!
सोने के जेवर ओर हमारे तेवर सव पर भारी पडते है
अभी मुठ्ठी नहीं खोली है मैंने आसमां सुन ले.....
तेरा बस वक़्त आया है, ‘’ मेरा तो दौर आएगा ".....!!!
दुश्मन और सिगरेट दोन को जलाने के बाद. उन्हे कुचलने का मज़ा ही कुछ और होता है..!!
Akele rehne ka bhi ek alag sukoon hai....
Na kisi ke laut aane ki ummid, na kisi se alag hone ka dar
मै सूरज के साथ रहकर भी भूला नही अदब,
लोग जुगनू का साथ पाकर... मगरूर हो गये.
दम नहीं किसी में,जो मिटा सके हमारी हस्ती को,
जंग तलवारो को लगती है, नेक इरादो को नहीं....